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Thursday 25 January 2018

यादों से भरा हूँ , कैसे में बिगड़ जाउँ ...!!!?

   
       
   ✔      अपनी खुद की Life का funda अपने को क्या ! किसीको भी मालूम नहीं होता । हम सभी को लगता होगा की मेरे पास वालेको/Life partner को मेरे साथ क्या होता हैं वो सबकुछ मालूम होता है पर हकीकत में क्या होता हैं वो तो अपने-आप को भी मालूम नहीं होता । 
      ✔    हमारे आसपास बहुत अजीब-अजीब atmosphere हो जाता है , उसमें हमें अपने-आप को बदल देने का बहुत ही मन करता है पर हम कैसे बिगड़ जाएँ इसी सोच में फँस जाते है।
        ✔  कई बार हमें हमारे पीठ पीछे बातें करने वाले लोगों की
जानकारी मालूम होती है। उस वक्त हम दिमाग बिगाड़ दे वो जाहिर सी बात है क्योंकि वोही लोग हमारे सामने आके हंसते हैं उस वक्त हम चाहे की हमे बिगड़ना नहीं है पर एसी situations पर हमें गुस्सा तो आता ही है पर उसके बाद हम खुद को भी बदल देना चाहते हैं। ऐसे में ऐसी मामूली बात पर "में/हम"  क्यूँ बिगड़/बदल जाएँ  !!?
   
    ✔     अब आईं बात ये मेरी इस छोटी सी "कविता" की , मुझमें ये यादें जो भरीं हुई है वो जाहिर सी बात है , में खुद इतना यादों से भरा हुआ हूँ अब भला आप ही बताइए कि में कैसे बिगड़ जाउँ !!!?
       
    ✔      "तो चलिए में आप सभी को मेरे यादों से भरे दिमाग़ की बहुत ही छोटी मगर यादों से भरे दिमाग़ की सैर करवाता हूँ इस छोटी सी कविता के जरिए "
                                   
           

✒⚫ "यादों से में भरा हूँ
             कैसे में बिगड़ जाउँ "

 क्या में गंदा बुरा और 
          शैतान हो जाउँ...!!!?
थोड़ी देर बिगड़ने से 
क्या में पूरा ही बिगड़ जाऊँ...!!!?🤔

गंदी बुरी झूठी बातें उनकी
             ज़हर सी लगती हैं...
क्या में वो बातें सुनकर ही 
              बिगड़ जाऊँ...!!!?🤔

पीठ पीछे बातें करने वाले 
              सामने आके हंसते हैं...
पल भर में बोलो में कैसे न
              बिगड़ जाउँ...!!!🤔

        कविताएँ ये 

यादें मेरी चुराती है...
यादों से में भरा हूँ 
      बोलो 
कैसे में बिगड़ जाउँ...!!! 🤔😊😇
                          -"sk(संकेत व्यास)" 🏳
Sanket vyas sk

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