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Tuesday 25 July 2017

कुछ तो रह जाता हैं .....


Every time life goes better but some time feel something thinking letters & make my poem like this.....


शाम की समा मैं एक तस्वीर नजर आती है 
सच पूछो ...
तभी इसी बात पर इस मुँह से बातें निकल आती हैं ,


कहने वाले की कोई बात कभी चुभ जाती है ...
सच कहने वालों की यूँ ही रात गुजर जाती हैं ,


दिल से पूछने से ये बात निकल आती हैं ...
तु रहता है जिस समा मैं वहीं उम्र तेरी यूँ ही चली जाती है ,


                         
                              जैसे बहेता है नदियों में पानी 
पत्थरों की धारे निकल जाती हैं ...
कँकरो की क्या बातकरें 
उसकी तो सिर्फ यादें रह जाती हैं , 



अए बादल तु जरा ठहर...

इन्हीं आँखों से बारिश की तरह बूँदें निकल आती है 
बारिश की कोई जरूरत नही ,
- नदियाँ यूही (इन्हीं बूँदो से) भर जाती है...
                           - "sk (संकेत व्यास) "
कुछ रह गया हो तो बताना ..

-Sanket vyas sk

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