शाम की समा मैं एक तस्वीर नजर आती है
सच पूछो ...
तभी इसी बात पर इस मुँह से बातें निकल आती हैं ,
कहने वाले की कोई बात कभी चुभ जाती है ...
दिल से पूछने से ये बात निकल आती हैं ...
तु रहता है जिस समा मैं वहीं उम्र तेरी यूँ ही चली जाती है ,
जैसे बहेता है नदियों में पानी
कँकरो की क्या बातकरें
उसकी तो सिर्फ यादें रह जाती हैं ,
बारिश की कोई जरूरत नही ,
- नदियाँ यूही (इन्हीं बूँदो से) भर जाती है...
- "sk (संकेत व्यास) "
- "sk (संकेत व्यास) "
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